What is Inflation? महंगाई क्या है?
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Inflation kya hai?
दोस्तो आज का ये आर्टिकल बहुत अच्छा होने वाला है क्योंकि आज हम बात करेंगे की महंगाई क्या है (What is Inflation) दोस्तो, आज के समय में लोगों को पता नहीं कि आखिर महंगाई होती क्या है (What is Inflation) और ये चीज आखिर कैसे काम करती है और साथ ही महंगाई जब-जब आती है तब-तब परेशानी (Emergency) आती है क्या इसके नुक्सान हैं I
हमें हमेशा लगता है कि महंगाई (Inflation) का मतलब है कि कोई चीज़ अगर आज 100 के है तो वो ही चीज़ हमें अगले साल 110 के मिलेंगे तो दोस्तों ये महंगाई (Inflation) तो कहते है लेकिन सभी टाइप की बातें नहीं आती तो आज हम जानेंगे असल में महंगाई है क्या (What is Inflation) I दोस्तो, आपको आज तक लगता होगा कि महंगाई क्या है और ईसे देखिए हमारी जिंदगी में क्या इंपैक्ट आता है, तो में आपको बता दू महंगाई से हमारी जिंदगी में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं पर बहुत इंपैक्ट आता है कुछ बात भारत (Bharat) में महंगाई के तो ये रेट इंडिया (India) में 6% से 8 % प्रतिशत है जो हमारे लिए अच्छा नहीं है।
दोस्तो बात करे अर्थशास्त्र की नजर से आम तौर पर मुद्रास्फीति मतलब कीमत का बढ़ना, और ये हमेशा सीपीआई CPI (Consumer Price Index) के मदत से मापी जाती है अब आप के मन में मैं या सवाल आ रहा होगा कि ये सीपीआई क्या है, तो दोस्तो अर्थशास्त्र की भाषा के सीपीआई याने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक CPI (Consumer Price Index) होता है मतलब जब सामान्य कीमत बढ़ती है तब आपके पास जितने पैसे हैं उसमें क्या वह सामान ला सकता है इसका मतलब जब जब महंगाई आती है तब तब पैसे की क्रय शक्ति कम होती है।
और अगर बात करे जब महंगाई जाती है तब सामान्य कीमत के जो स्तर है वो काम हो जाती है, और उतने पैसे में ज्यादा से ज्यादा सामान ला सकता है I और सामान्य उपाय मुद्रास्फीति दर कहा जाता है जब मुद्रास्फीति आता है तब सारी चीज़ एक दम से नहीं बदलते सिर्फ कुछ ही चीज़ पर एस्का आसर ढेकने को मिलता है I लेकिन बात करे हर साल जो महंगाई आती है उसके तो हर साल बढ़ने वाली महंगाई से हर चीज़ वक़्त के साथ अपनी कीमत बढ़ा लेती है।
मुद्रास्फीति के कारणों को लेकर अर्थशास्त्रियों में मतभेद है। कम या मध्यम मुद्रास्फीति को व्यापक रूप से वस्तुओं और सेवाओं की वास्तविक मांग में उतार-चढ़ाव या कमी के दौरान उपलब्ध आपूर्ति में परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। मध्यम मुद्रास्फीति हमारे आर्थिक स्तर पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनो साइड इफेक्ट करता है, अगर बात करे नकारात्मक पक्ष की तो वो हमारे पास पैसे रखने की अवसर लागत को बड़ा देता है I
और भविष्य की मुद्रास्फीति पर अनिश्चितता, जो निवेश और बचत को हतोत्साहित कर सकती है, भोजन की कमी और कीमत दिन-ब-दिन बढ़ती जाति है इसके लिए महंगाई को अदृश्य टैक्स भी कहा जाता है, दिन-ब-दिन % वाइज बढ़ता जा रहा है I पर कभी हमें दिखता नहीं और कभी हमें फील नहीं होता के कोई चीज़ महँगाई के बजहा से बढ़ रही है I
दोस्तो आपको पता होगा की नहीं, मुझे नहीं पता पर आज मैं आपको बताता हूँ ये बात है 1974 के हमारे देश में जब बहुत बड़ा संकट आया था और इसे सुपर महंगाई का दौर (Super Inflation Phase) भी कहा जाता है I जिस समय हमारे देश का मुद्रास्फीति दर 28% तक बढ़ गया और इस समय को आज भी भारत में याद किया जाता है।
आज आपके सामने बहुत बड़ी बात हो रही है हमारे एस बढ़ते महंगाई दर का करम हमारी अर्थव्यवस्था (Economy) नहीं ये फिर से हमारे देश वासी जिम्मेदार नहीं एस्का असल में, हमारे तो रुपया है उसके मूल्य दिन बा दिन कम हो रही है, और डॉलर के मूल्य दिन बा दिन बढ़ते जा रही है जब हमारा देश आजाद हुआ तब रुपये के मूल्य डॉलर के बराबर थी याने 1 रुपया मतलब 1 डॉलर लेकिन आज की बात करें तो डॉलर की कीमत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है अगर बात करें आज के टाइम की डॉलर वैल्यू से रुपये की तुलना में 82 बार जयदा है जो के हमारे लीये अच्छी बात नहीं है।
आभी मैं आपको एक चीज समझाता हूं जिसकी मदद से किसी भी महंगाई दर को आसन से समझा जा सकता है।
MV=PQ
M = पैसे की एक नाममात्र मात्रा है.
V = अंतिम व्यय में धन का वेग है.
P = सामान्य मूल्य स्तर है.
Q = अंतिम व्यय के दर मूल्य का सूचकांक है.
MV=PQ
M = Is a nominal quantity of Money
V = Is the velocity of money in final expenditures
P = Is the general price level
Q = Is an index of the rate value of final expenditure
निष्कर्ष (Conclusion)
तो दोस्तो आज हमने जाना के भारत की महंगाई क्या है (What is Inflation) ये कैसे देश को आर्थिक रूप से कमजोर कर सकता है, साथ ही हमने जाना कि भारत की महंगाई दर क्या है, सीपीआई क्या है सीपीआई CPI (Consumer Price Index), महंगाई के कारण भी। चीज़ के मांग कम जयदा होती है और महंगाई कैसे हमारे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, और कैसे ये एक अदृश्य टैक्स के तरह काम करता है और एक कारण हमारे देश में सुपर महंगाई का दौर सुपर महंगाई का दौर (Super Inflation Phase) आया था और जान के संक्रमण की दर को कैसे समझा जा सकता है।